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1983 में स्थापित अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की आज तक की राष्ट्रीय अध्यक्षायें एवं उनके कार्य कलाप










स्व: श्रीमती रत्नमाला साबू
राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्र 1989 -1990
श्रीमती रत्नमाला साबू का जन्म संगमनेर, महाराष्ट्र में 25 फरवरी 1954 को हुआ। इन्होंने मैट्रिक करके होम्योपैथी एवं एंब्रॉयडरी शिक्षण में डिप्लोमा लिया। इनकी शादी रामविलास साबू से हुई।
कई संस्थानों की ये सक्रिय सदस्या रही, जैसे अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन,आर्थस गिल्ड ऑफ इंडिया, रेड क्रॉस सोसाइटी, माहेश्वरी महासभा ,लायंस क्लब ऑफ हैदराबाद ईस्ट, हिंदी प्रचार सभा ,महिला दक्षता समिति, आंध्र प्रादेशिक माहेश्वरी महिला संगठन, नारायण सेवा संस्थान उदयपुर इत्यादि। इन सभी जगह इन्होंने अध्यक्षा उपाध्यक्ष इत्यादि विभिन्न पदों को सुशोभित किया।
यह आंध्र प्रदेश अर्बन महेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, राजराजेश्वरी महिला को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की भूतपूर्व डायरेक्टर एवं जीके काबरा नवजीवन मॉडल स्कूल और अखिल भारतीय श्री वात्सल्य प्रगति सेवा समाज की ट्रस्टी रही।
इन्हें कई सम्मान एवं पुरस्कारों से नवाजा गया। सर्वोत्तम लायंस क्लब प्रेसिडेंट 1986 -87, आंध्र प्रदेश शिक्षा मंत्री द्वारा कौमी एकता अवार्ड 1992 ,इंदिरा प्रियदर्शनी अवार्ड 2003 ,महारानी झांसी अवार्ड 1997 ,भगवान महावीर सद्भावना पुरस्कार ।
इन्होंने दो पुस्तक प्रकाशित की-- भाग्यनगर राजस्थानी गीत माला ,भाग्यनगर तीज त्योहार कथा संग्रह। 2 कैसेट निर्माण किए ,परिचय स्वर लहरी (विनायक से विदाई तक) रातीजोगा-- देवी के 32 गीतों का समूह, पत्रिका प्रकाशन की-- महिला दर्पण त्रैमासिक, महिला सुधा मासिक, निबंध लेखन।



प्रसिद्ध समाजसेवी श्रीमती डॉक्टर सरोज बजाज ने 3 सत्र में सम्मेलन की राष्ट्रीय अध्यक्षा का पदभार संभाला। इनके कार्यकाल में चार बार( अप्रैल 1991, 8 जून 1992, 6 फरवरी 1996 और एप्पल अप्रैल 19 98 )में हैदराबाद आंध्र प्रदेश में अधिवेशन सफलतापूर्वक आयोजित हुए।
इनके कार्यकाल में हर माह अलग-अलग विषयों (स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज) पर सेमिनार आयोजित किए गए जिनमें मुख्य रूप से डॉ गिरिजा व्यास, फर्स्ट लेडी आईपीएस किरण बेदी, मोहिनी देवी गिरी ,गीता रेड्डी, सुषमा स्वराज, मृदुला सिन्हा, डॉक्टर विद्या वेन शाह जो नेशनल महिला कमिशन व समाज कल्याण बोर्ड की चेयरपर्सन थी, साहित्यकार पु पा भरती,मन्नू भंडारी, चित्रा मुद्गल जैसी अनेकों विभूतियों के विचार सुनकर निसंदेह बहनों को नवीन चेतना प्राप्त हुई। उसी वक्त सोमाजीगुडा हैदराबाद में 3000 वर्ग गज का कार्यालय खरीदा गया जहां अलग-अलग विषयों के कोर्स जैसे कुकिंग, सिलाई इत्यादि चलाए जाते तथा सेमिनार, साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक प्रवचन तथा गोष्ठियों निरंतर होती रहती थी।
उपलब्धियां--
19 94 में बीजिंग चाइना में वर्ल्ड विमेंस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार की तरफ से आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। बहनों के लिए परिवार परामर्श केंद्र की स्थापना की। निर्धन बस्तियों में चार बाल विकास केंद्र खोलें। आठ ब्यूटी पार्लर, 6 बुटीक ,चार साड़ी शोरूम खुलवाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की। विकलांगों के लिए जयपुर फुट कैंप लगाए। सरकारी अस्पतालों में एक्स रे मशीन, ईसीजी मशीन, एसी,टीवी,आदि वितरित किए। देवना ब्लाइंड स्कूल को आर्थिक सहायता दी। रेड क्रॉस सोसाइटी के तत्वाधान में 22 रक्तदान शिविर लगाए। महिलाओं के स्वावलंबन हेतु प्रदर्शनी सह बिक्री केंद्र का आयोजन किया। डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के जरिए लोगों में कैंसर नेत्रदान इत्यादि के लिए जागरूकता फैलाई।
इन्हें नेशनल सिटीजन अवार्ड मदर टेरेसा के कर कमलों द्वारा मिला। राष्ट्रपति भवन में लगभग 90 बहनों का गेट टुगेदर में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा के हाथों सभी बहनों को शील्ड दिलवाई।
इनके कार्यकाल में गर्ल्स हॉस्टल, निर्धन व गांव की लड़कियों का कॉलेज व महिला बैंक खोलने की रूपरेखा बनी जो आज साकार रूप ले सफलतापूर्वक चल रहे हैं। बैंक-- आंध्र प्रदेश राजा राजेश्वरी अर्बन बैंक लिमिटेड हॉस्टल-- सुमन गर्ल्स हॉस्टल कॉलेज-- 1.सुमन जूनियर कॉलेज, 2.सुमन जूनियर नर्सिंग कॉलेज, 3.महिला दक्षता डिग्री कॉलेज।

पद्मश्री श्रीमती शीला झुनझुनवाला
राष्ट्रीय अध्यक्षा, सत्र 1992- 19 94
पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित श्रीमती शीला झुनझुनवाला का जन्म 6 जनवरी 1 930 को हुआ था। इन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज से अर्थशास्त्र में एमए कर एल.टी. किया और हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से साहित्य रत्न एवं प्रयाग महिला विद्यापीठ से विदुषी ऑनर्स किया। इनकी शादी स्वर्गीय टी.पी. झुनझुनवाला (इंटेलिजेंस) इनकम टैक्स कमिश्नर ,भारतीय राजस्व के साथ हुई।
पत्रकारिता उपलब्धियां... पत्रकारिता के क्षेत्र में शीर्ष पदों पर रही। पहली महिला संपादक जिन्हें देश की चोटी की बहु प्रसारित दैनिक साप्ताहिक मासिक पत्र पत्रिकाओं के संपादन का अनुभव मिला। पत्रकार के रूप में कैरियर प्रारंभ किया धर्म युग से ,द टाइम्स ऑफ इंडिया पत्र समूह के गौरवमय साप्ताहिक से। फिर कादंबिनी एवं दैनिक हिंदुस्तान की सह संपादिका रही। साप्ताहिक हिंदुस्तान की मुख्य संपादिका बनी। ढाई वर्ष तक महिला पत्रिका 'अंगजा' का संपादन किया, 4 वर्ष तक 'मनी मैटर्स' की कार्यकारी संपादक रही। संप्रति द इकोनॉमिस्ट त्रैमासिक की सलाहकार है। हास्य ,व्यंग, फिल्म ,खेल, स्वास्थ्य आदि विषयों पर अलग-अलग परिशिष्ट निकालना शीला जी ने ही प्रारंभ किया।
इनकी कुछ कृतियां ...
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद से अनेक कृतियां प्रकाशित ,जिनमें से अस्त्र-शस्त्र की कहानी एवं इंदिरा जी की आत्मकथा-- विशेष चर्चित, बाल साहित्य में भी अनेक पुस्तकें प्रकाशित, कुछ कही कुछ अनकही --आत्मकथा, अर्थ चक्र- उपन्यास ,होने वाला कमरा- उपन्यास ,फिल्मी सितारों के अनछुए प्रसंग-- विशेष रूप से चर्चित।
पुरस्कार ...
भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से अलंकृत तथा अन्य अनेक पुरस्कार प्राप्त जिनमें प्रमुख है मातृश्री पुरस्कार, लोहिया पुरस्कार, राजस्थान- रत्न रोटरी- रत्न पुरस्कार वह हिंदी अकादमी दिल्ली से बाल साहित्य कृति पुरस्कार एवं साहित्यकार सम्मान।
संप्रति --टीपी झुनझुनवाला फाउंडेशन की कार्यकारी अध्यक्षा, प्रियदर्शनी की अध्यक्षा एवं स्वर मंजरी, महिला मंगल राजस्थान क्लब ,राजस्थान रत्नाकर आदि अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से संबंध।


श्रीमती जया डोकानिया
राष्ट्रीय अध्यक्ष - अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलनसत्र 2000 --2002
झारखंड प्रदेश के जसीडीह नगर में स्वतंत्रता सेनानी श्री गौरीशंकर जी डालमिया एवं श्रीमती कपूरी देवी डालमिया के घर 20 जून 1945 को एक प्रतिभावान पुत्री का जन्म हुआ ।सेवा भाव इन्हें पिता से विरासत में मिली ।बचपन से ही जो समाज सेवा के अंकुर इनके मन में दबे हुए थे वो उनके पति डॉ महावीर राम का सानिध्य पाकर पुष्पित एवं पल्लवित हुआ ।अनेक संस्थाओं में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए आज अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्यरत हैं।
इनका जुड़ाव अनेकानेक संस्थाओं से रहा यथा--- हिंद कुष्ठ आश्रम, रेड क्रॉस, रोशनी,(eye donation center), राजस्थान मैत्री संघ ,भारत सेवाश्रम संघ ऑल इंडिया विमेंस काउंसिल इत्यादि इत्यादि|
समय-समय पर समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी कार्य करने के लिए इन्हें विभिन्न सम्मानों से अलंकृत किया गया यथा--- जिला मारवाड़ी सम्मेलन ,मारवाड़ी महिला मंच के सुनहरे 25 वर्षों की निरंतर साधना के पश्चात इन्हें भीष्म पितामह सम्मान से अलंकृत किया गया। अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन में सुशीला सिंधी पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त एक महिला इंटरप्रेन्योर के रूप में इन्होंने एक विशेष पहचान बनाई ।इन्होंने अपनी मेहनत से जमशेदपुर में फेक्टरी की स्थापना की औऱ स्वयं की फाउंड्री में मैनेजिंग director है।* सन 1986 में सेकंड बेस्ट वूमेन इंटरप्रेन्योर इन द कंट्री* का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
* राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए इन्होंने जो विशेष कार्य किए वह इस प्रकार हैं* संस्था को सोसाइटी एक्ट में रजिस्टर्ड करवाया ,अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की पहली वेबसाइट का निर्माण ,पूर्वोत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश जो कि अभी तेलंगाना के नाम से है के गठन में अहम भूमिका निभाई ,सर्वप्रथम संस्था में 100000 रुपए (एक लाख रुपये)कोष का गठन किया गया जिसे बाद में शिक्षा कोष में समाहित कर दिया गया ।समय-समय पर कुष्ठ रोगियों के लिए आई कैंप का आयोजन करवाती रही ।अपने जीवन काल में इन्होंने 20 बार रक्तदान भी किया ।आज इनका पुत्र ,पुत्रवधू पुत्री ,दामाद पौत्र, नाती,नतिनी के साथ भरा पूरा परिवार है।उम्र के इस पड़ाव में भी बहुत जीवटता एवम कर्मठता के साथ अपना सुखमय जीवन यापन कर रही हैं।

स्वर्गीय मंजू जी मेहारिया
राष्ट्रीय अध्यक्षा ,सत्र -2002- 2004
मंजू जी मेहारिया का जन्म 25 फरवरी को हुआ। इनके पिता थे स्वर्गीय गौरीशंकर जी डालमिया एवं पति का नाम था श्री शिवकुमार मेहारिया। इन्होंने . एम. ए ,( पी.एच. )कर गीतिकाव्य में पी.एच.डी एवं डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की। 28 जनवरी 2004 को इन्होंने निर्वाण प्राप्त किया।
ये बोकारो मारवाड़ी महिला सम्मेलन की संस्थापक अध्यक्षा रही और बोकारो फैमिली काउंसलिंग सेंटर की सदस्य रही।
उपलब्धियां--
बोकारो महिला कॉलेज में हिंदी विभाग में प्राचार्य।
काव्य संकलन --सुधियों के वातायन एवं नवगीत की उपलब्धियों का प्रकाशन।





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श्रीमती लता अग्रवाल
*राष्ट्रीय अध्यक्ष-अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन-सत्र-2012-2014
झारखंड प्रदेश के जमशेदपुर के श्री जगदीश प्रसाद सावा एवं श्रीमती गंगा देवी के घर 2 अक्टूबर को इनका जन्म हुआ ।सेवा भाव इन्हें अपने पिता से विरासत में मिली ।बचपन से ही पठन-पाठन समाज सेवा के प्रति इनका रुझान रहा जो क्रमशः दिन प्रतिदिन अपनी चरम सीमा तक पहुंचता गया। पति श्री अशोक अग्रवाल का भी इन्हें भरपूर सहयोग मिला ।अनेक संस्थाओं में अपनी सेवा देते हुए आज अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्यरत हैं।
इनका जुड़ाव कई संस्थाओं से रहा यथा --राजस्थान युवक मंडल ,सिंहभूम जिला मारवाड़ी सम्मेलन ,रेड क्रॉस, रोशनी आई डोनेशन सेंटर इत्यादि इत्यादि----
समय-समय पर समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष काम करने पर इन्हें कई सम्मान भी मिले यथा महिला गौरव ,महिला रत्न स्वर्गीय सुशीला सिंधी सम्मान (अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के द्वारा)! मारवाड़ी महिला मंच के 25 वर्ष पूरे होने पर इन्हें प्रकाश स्तंभ सम्मान से सम्मानित किया गया ।
जमशेदपुर शाखा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पहली बार महिला स्वावलंबन को बढ़ावा देने हेतु उद्योग मेला प्रारंभ किया जिसका बाद में राष्ट्र की अनेक शाखाओं ने अनुसरण किया । आज यह राष्ट्रीय कार्यक्रम बन चुकाहै। पहली बार जमशेदपुर शाखा को इनके कार्यकाल में राष्ट्र की सर्वश्रेष्ठ शाखा होने का गौरव प्राप्त हुआ एवं तभी से लगातार यह सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
झारखंड प्रदेश अध्यक्ष के रूप में महिलाओं के स्वावलंबन के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर बृहद महिला उद्योग मेला आयोजित किया गया। झारखंड प्रदेश में पहली बार प्रदेश पत्रिका विविधा का प्रकाशन प्रारंभ किया जो अब वर्तमान में प्रदेश की पहचान बन गई है। प्रदेश में पहली बार कोष सृजन कर 60000 की राशि fix deposit करवाई गई।
राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए इन्होंने जो विशेष कार्य किए हैं वह इस प्रकार हैं -----सम्मेलन के गठन से लेकर 2014 तक की संपूर्ण यात्रा को कलम बद्ध किया।यात्रा 30 वर्षों की इसमें संक्षिप्त में गठन से लेकर अब तक की समस्त राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्षों का परिचय भी प्रकाशित किया गया ।स्थानीय सेवासदन नेत्र चिकित्सालय में तीन लाख की लागत से ऑपरेशन कक्ष का निर्माण करवाया गया। उत्तराखंड की भीषण त्रासदी के मात्र 5 माह पश्चात वहां की वस्तु स्थिति का आकलन करने एवरेस्ट विजेता सुश्री विजेन्द्रीपाल एवं एवरेस्ट विजेता श्रीमती प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व में मैंने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती जया डोकानिया तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव श्रीमती बीना खीरवाल एवं राष्ट्रीय पत्रिका संकल्प की सम्पादिका श्रीमती प्रभा पाडियाके साथ विभिन्न गांवों का पांच दिवसीय दौरा किया ।यह यात्रा अत्यंत रोमांचक एवं दिल को अंदर तक हिला देने वाली थी ।उत्तराखंड के चंद्रपुरी गांव के राजकीय इंटर विद्यालय जो पूर्णत क्षतिग्रस्त हो गया था उसको पुनः निर्माण फर्नीचर बिजली आदि की व्यवस्था पानी एवं शौचालय आदि की व्यवस्था की गई साथ ही लाइब्रेरी में 42000 रुपये केमूल्य की पुस्तक के भी भेंट की गई| उसके उद्घाटन के अवसर पर मेरे साथ पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती जया डोकानिया पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती अरुणा जैन जमशेदपुर शाखा से श्रीमती मंजू खंडेलवाल श्रीमती सुशीला खेरवाल एवं श्रीमती विभा दुदानी भी उपस्थित थी| उत्तराखंड के ही भनज गांव में बच्चों के विकास के लिए बनने वाले बाल भवन का शिलान्यास भी किया गया |उत्तराखंड के ही वासु गांव में बच्चों की विभिन्न ट्रेनिंग के लिए टाटा स्टील को ₹100000 की राशि प्रदान की गई| इस प्रकार उत्तराखंड राहत कोष का सृजन कर उत्तराखंड आपदा ग्रसित गांव के पुनर्वास में सहयोग प्रदान किया गया |सम्मेलन केसभी राज्यों के सहयोग से इतना बड़ा कार्य संभव हो पाया।गुजरात एवं उत्तराखंड की शाखाओं का गठन किया गया lअंतर्राष्ट्रीय शाखाएं मस्कट एवं Buthel Sitelका गठन किया गया बाद में अंतर्राष्ट्रीय शाखाओं को तकनीकी कारणों से बंद कर दिया गया।
वर्तमान में अपने भरे पूरे परिवार के साथ सुखद जिंदगी ब्यतीत कर रही हैं।







मृदुभाषी व बहुमुखी प्रतिभाशाली व्यक्तित्ववाली उषा किरण टिबडेवाल का जन्म आसाम के शिवसागर में हुआ। पिता थे स्वर्गीय केशर देव जी खेमका एवं मां है पुष्पा देवी खेमका.... शिवसागर से ही इन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक व अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोतर का एक वर्ष तक अध्ययन किया । इनका विवाह तेज़पुर निवासी श्री कृष्ण गोपाल टीबड़ेवाल के साथ हुआ । इनका पुत्रों, पुत्रवधू व नाती- पोतों से भरा- पूरा परिवार है ।
समाज सेवा में रूचि के साथ साथ ये लेखन, गायन, नृत्य, हस्तकला आदि अनेक विधाओं में भी पारंगत है।अपनी सेवा - भावना व कर्म निष्ठा के कारण स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों सामाजिक संगठनों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं........
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन में 2007 से2010 तक शाखा अध्यक्षा, 2012-2014 तक आसाम की प्रांतीय अध्यक्षा, 2014-2016 तक राष्ट्रीय उपाध्यक्षा, 2016-2018 तक राष्ट्रीय समिति प्रमुख रह चुकी हैं तथा 2018-2020 तक राष्ट्रीय अध्यक्षा के गरिमामय पद पर सुशोभित हैं ।.....इनर व्हील क्लब तेज़पुर की 2014-15 में अध्यक्षा, हिंदी साहित्य सम्मेलन की भी 2014 -2018 तक संपादिका रह चुकी हैं, वन बंधु परिषद से जुड़ी रही.,.... इनके अलावा ये विवेकानंद योग निकेतन, की भी स्थायी सदस्या हैं।
हिंदी के महत्वपूर्ण पत्र- पत्रिकाओं में इनकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है। उषाजी की तीन पुस्तकें.... *निरायास मन मेरा, यात्रा जारी है व हाशिये पर टँगी औरत * का सफलतापूर्वक प्रकाशन भी हो चुका है व इनकी यह यात्रा अनवरत जारी है । साहित्यिक व सामाजिक क्षेत्र में इनको विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया।
5 मार्च 2010 को अ.भा.मा.म.स. के राउरकेला अधिवेशन में विशिष्ट महिला गौरव से सम्मानित, 2015 में कोटा की भारतेंदु समिति द्वारा साहित्य श्री अलंकरण से सम्मानित, राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा बिसाऊ में साहित्य श्री सम्मान से सम्मानित ,2015 को अग्रवाल सभा तेजपुर द्वारा विशिष्ट महिला गौरव से सम्मानित, साहित्य त्रिवेणी कोलकाता द्वारा सारस्वत सम्मान से सम्मानित, 14 सितंबर 2018 को नाथद्वारा साहित्य मंडल द्वारा साहित्य श्री सम्मान से सम्मानित , 17 अगस्त 2018 को मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में इन्होंने भाग लिया और वहां की पत्रिका में इनका लेख छपा।


We believe all women can embrace who they are,
can define their future, and can change the world.
हमारा उद्देश्य
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सम्मेलन का उद्देश्य महिलाओं का सर्वांगीण विकास करना एवं समाज की नारी शक्ति को संगठित करना है।
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कार्यक्षेत्र मुख्यतः महिलाओं के द्वारा एवं महिलाओं के लिए होगा।
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सामाजिक कुरीतियों को दूर करना परंपराओं का पुनः अवलोकन कर युग के अनुरूप प्रगतिशील मार्ग अपनाना।
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देश के सभी प्रदेशों में मारवाड़ी महिला सम्मेलन की इकाइयों का गठन करना। प्रत्येक प्रदेश के जिस जिस शहर या गांव में मारवाड़ी परिवार बसते हो वहां सम्मेलन की स्थानीय समितियों का गठन करना।
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महिला शिक्षा संस्थानों, टेक्निकल एजुकेशन ,विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्ति आदि दिशा में महिलाओं को आगे बढ़ाना।


हमारा विजन
लड़कियां ,महिलाएं शिक्षित हो, उनका बौद्धिक विकास हो, वो पुरुषों के समकक्ष खड़े होने में सक्षम हो।
बहनों को समाज के बौद्धिक, शैक्षणिक ,प्रशासनिक, राजनीतिक ,साहित्य, संगीत, कला एवं संस्कृति आदि क्षेत्रों की ओर उन्मुख करना। परंपराओं का अवलोकन कर युग के अनुरूप जीवन शैली पर चिंतन मनन कर प्रगतिशील मार्ग को अपनाना। समाज के विकास में पूर्ण योगदान देना।
बच्चों और महिलाओं में चेतना लाने के लिए समय-समय पर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक संगोष्ठीयों का आयोजन करना या करवाना।
सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन करना या करवाना।
निशुल्क कानूनी सलाह केंद्र की स्थापना का प्रयास करना।
विकलांग बच्चों को राहत देने का प्रयास करना या करवाना।